क्या साम्प्रदायिक
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एक घोड़े को बरसात में हरी घास खाने की आदत पड़ गई और जब सर्दी में हरी घास खत्म हो गई तब घोडा सुखी हुई घास को खाने को तैयार ही न हो। उसे तो बस हरी घास ही चाहिए थी। घोड़े का मालिक चिंतित हो गया और उसे एक तरकीब सूझी, उसने घोड़े की आँखों पर हरी ऐनक चढ़ा दी। घोड़े को सुखी घास भी हरी नजर आने लगी। इसी तरह सरकार ने भी आँखों पर चश्मा लगाया है और भ्रष्ट इमानदार नजर आते हैं। आज नेताओं को लोगो की मुश्किलें,आपदाएं,भ्रष्टाचार नजर नही आ रही।जरूरत है इनकी ऐनक उतारने की।
बस करदो इन पर वोट की चोट।
भ्रष्ट और चोर सांसदों की खोलो पोल,
मत देना इन भ्रष्टों को भूलकर भी वोट।
करो इनपर वोट ना देकर चोट,
बताओ खुलकर भरा है इनमे खोट ।।
आर एम मित्तल
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